दर्द पहचान बन जाती है

दर्द पहचान बन जाती है, 
जब मुक्कदर से ईमान खो जाती है,
हर रिश्ते शक के दायरे में है जनाब,
अपनी गलती नही होते हुए भी, 
ईमान खराब हो जाती है,
ये कलयुग है जनाब पैसा न हो तो, 
जीवन साथी भी हराम हो जाती है,
और शक ही दर्द की पहचान बन जाती है।
--अभय

Post a Comment

Previous Post Next Post