ऐसा भी होता है, नजरो से नजर न मिले
प्यार का एहसास हो , फिर भी जरूरत न लगे
देखने से ज्यादा पाने की जिद हो, न खोने का गम
न सहने की आदत , न बोलने का गम
मसरूफ है वो अपने जिद में और मैं भी ये
भुला बैठा हूं उसकी कदर में , अपना दिमाग
बैठा रखा हूं, और दिल तो बीमार चीज है साहब।
--अभय